Savita Agarwal vs. Devesh Bahuguna (Round 1 - FTC 2014)
Page 1 of 1
Savita Agarwal vs. Devesh Bahuguna (Round 1 - FTC 2014)
चिड़िया
(Savita Agarwal)
एक आर्टिस्ट होने के कारण मेरे शब्दो का आधार मेरे चित्र है । उनमे से मेरे मन के करीब एक चित्र है 'परिन्दा'। ये रचना उसी चित्र को परिभाषीत करते हुये लिखी गयी ...
मासूम परिन्दो से मत पूछ की तेरा घर कहां है
हवाये तीरो सी चलती न हो वो नगर कहां है
करा सफर धरती से आसमां का जो उसने अब तक
समझ न पाया सूरज को लाने की ड़गर कहां है
परख सके उम्मीदो के परो को बेखौफ हो के
नये जमाने मे अब पारखी सी नजर कहां है
न लौट कर आया था एक परिन्दा जो शाम को घर
हवाओ से पूछे पत्ते दे उसकी खबर कहां है
उडान इतनी भी ऊँची न हो इन पंखो की 'सावी '
जो लौटे तो पूछे की उसके घर का शजर कहां है....
Rating - 41/100
----------------------
बहुत बदल गया हूँ
(Devesh Bahuguna)
अब मुझे यहाँ कोई नही पहचानता
सुना है अब में बहुत बदल गया हूँ
पहले में लोगों से यूँही बेमतलब मिला करता था
पर अब कहते है लोग के में
बहुत मतलबी होगया हूँ
हाँ शायद बदल तो गया हूँ
जबसे में भी दुनिया के रस्मों -रिवाज समझने लगा हूँ
जिंदगी यूँ ही चलती रहे तो अच्छा है
कब धूप कब छाँव मिलती है तो अच्छा है
एक ही मौसम भला कब भाता है
इसलिए कब गम की बारिश
और कब सुख की छाँव खिलती है तो अच्छा है
महफिलें तो सबको अच्छी लगती हैं
मगर तन्हाई मैं कुछ वक़्त गुज़ारें तो अच्छा है.
Rating - 40/100
Result - Savita Agarwal wins the exhibition match.
(Savita Agarwal)
एक आर्टिस्ट होने के कारण मेरे शब्दो का आधार मेरे चित्र है । उनमे से मेरे मन के करीब एक चित्र है 'परिन्दा'। ये रचना उसी चित्र को परिभाषीत करते हुये लिखी गयी ...
मासूम परिन्दो से मत पूछ की तेरा घर कहां है
हवाये तीरो सी चलती न हो वो नगर कहां है
करा सफर धरती से आसमां का जो उसने अब तक
समझ न पाया सूरज को लाने की ड़गर कहां है
परख सके उम्मीदो के परो को बेखौफ हो के
नये जमाने मे अब पारखी सी नजर कहां है
न लौट कर आया था एक परिन्दा जो शाम को घर
हवाओ से पूछे पत्ते दे उसकी खबर कहां है
उडान इतनी भी ऊँची न हो इन पंखो की 'सावी '
जो लौटे तो पूछे की उसके घर का शजर कहां है....
Rating - 41/100
----------------------
बहुत बदल गया हूँ
(Devesh Bahuguna)
अब मुझे यहाँ कोई नही पहचानता
सुना है अब में बहुत बदल गया हूँ
पहले में लोगों से यूँही बेमतलब मिला करता था
पर अब कहते है लोग के में
बहुत मतलबी होगया हूँ
हाँ शायद बदल तो गया हूँ
जबसे में भी दुनिया के रस्मों -रिवाज समझने लगा हूँ
जिंदगी यूँ ही चलती रहे तो अच्छा है
कब धूप कब छाँव मिलती है तो अच्छा है
एक ही मौसम भला कब भाता है
इसलिए कब गम की बारिश
और कब सुख की छाँव खिलती है तो अच्छा है
महफिलें तो सबको अच्छी लगती हैं
मगर तन्हाई मैं कुछ वक़्त गुज़ारें तो अच्छा है.
Rating - 40/100
Result - Savita Agarwal wins the exhibition match.
Similar topics
» Round 2 - Amit Rawat vs. Savita Agarwal
» Devesh Bahuguna vs. Amit Rawat
» Sanjay Singh vs. Akash Soam (Round 1, FTC 2014)
» Sankalp Shrivastava vs. Sidharth Gupta (Round 2)
» Deven Pandey vs. Sankalp Shrivastava (Round 1)
» Devesh Bahuguna vs. Amit Rawat
» Sanjay Singh vs. Akash Soam (Round 1, FTC 2014)
» Sankalp Shrivastava vs. Sidharth Gupta (Round 2)
» Deven Pandey vs. Sankalp Shrivastava (Round 1)
Page 1 of 1
Permissions in this forum:
You cannot reply to topics in this forum
|
|