Round 2 - Amit Rawat vs. Savita Agarwal
Page 1 of 1
Round 2 - Amit Rawat vs. Savita Agarwal
प्रलय या सृजन
(Amit Rawat)
समुद्र नीर खौलता,
सरू जल उफान पर,
आभास है प्रलय का ये,
या हो रहा सृजन !
बिजलिया है कौंधती,
व्योम घन फट रहे
मूसलाधार बरिशे ,
असमय ऋतु आगमन
आभास है प्रलय का ये
या हो रहा सृजन!!
हिमखंड हिमाल के,
पिघल रहे रवि-क्रोध से
सुप्त ज्वालामुखी वर्षो के,
उबलने को है प्रतिशोध से
देख विध्वंस प्रकृति का
बुद्धिजीवी कर रहे मनन
आभास है प्रलय का ये
या हो रहा सृजन!!!
वृक्ष निरीह कटान पर
अपने अपरिपक्व ज्ञान पर,
मनुष्य चला प्रकृति विजय को,
कुचल कर सृष्टी नियम
आभास है प्रलय का ये
या हो रहा सृजन!!!!
भू-क्षरण धरा का है,
चरित्र-क्षरण मनुष्य का हो रहा
सत्ता के द्वंद में,
मनु-चरित्र खो रहा
भ्रष्ट नीति से राज में,
हो रहा वो पशु मन
आभास है प्रलय का ये
या हो रहा सृजन!!!!!
Rating - 62/100
----------------
दुनिया
(Savita Agarwal)
मेरा लेखन जीवन के विभिन्न रंगो से जुडा है चाहे वो काला हो या सफेद ।। आज की विषम परिस्थियो मे मानसिक वेदना के बढते स्तर को दर्शाते हुये लिखी गयी रचना.....
.................................
ये दुनिया जब
बजंर जमीन पर
बीज भावो के
बोने आयी थी
कुल्हाड़ी फावडो से
धरा जरा भी न
घबरायी थी
अब फसले
लहलहा रही है
बस पकने को
आ रही है
देख कुल्हाड़ी
फावडे पर आज
धरा घबरा रही है
समझ नही पा
रही हूँ कि
हथियार वही है
चोट वही है
पर कितना कुछ
बदल गया है
शायद बीज
आकंक्षा का
भीतर कही
पल गया है
आज मुझे
ये बात सपष्ट
नजर आयी है
कि दर्द की
मानसिक अवस्था
शारीरिक अवस्था
से ज्यादा दुःखदायी है।।
Rating - 57/100
Result - Amit Rawat wins this friendly poetry challenge & his round 2 exhibition match.
(Amit Rawat)
समुद्र नीर खौलता,
सरू जल उफान पर,
आभास है प्रलय का ये,
या हो रहा सृजन !
बिजलिया है कौंधती,
व्योम घन फट रहे
मूसलाधार बरिशे ,
असमय ऋतु आगमन
आभास है प्रलय का ये
या हो रहा सृजन!!
हिमखंड हिमाल के,
पिघल रहे रवि-क्रोध से
सुप्त ज्वालामुखी वर्षो के,
उबलने को है प्रतिशोध से
देख विध्वंस प्रकृति का
बुद्धिजीवी कर रहे मनन
आभास है प्रलय का ये
या हो रहा सृजन!!!
वृक्ष निरीह कटान पर
अपने अपरिपक्व ज्ञान पर,
मनुष्य चला प्रकृति विजय को,
कुचल कर सृष्टी नियम
आभास है प्रलय का ये
या हो रहा सृजन!!!!
भू-क्षरण धरा का है,
चरित्र-क्षरण मनुष्य का हो रहा
सत्ता के द्वंद में,
मनु-चरित्र खो रहा
भ्रष्ट नीति से राज में,
हो रहा वो पशु मन
आभास है प्रलय का ये
या हो रहा सृजन!!!!!
Rating - 62/100
----------------
दुनिया
(Savita Agarwal)
मेरा लेखन जीवन के विभिन्न रंगो से जुडा है चाहे वो काला हो या सफेद ।। आज की विषम परिस्थियो मे मानसिक वेदना के बढते स्तर को दर्शाते हुये लिखी गयी रचना.....
.................................
ये दुनिया जब
बजंर जमीन पर
बीज भावो के
बोने आयी थी
कुल्हाड़ी फावडो से
धरा जरा भी न
घबरायी थी
अब फसले
लहलहा रही है
बस पकने को
आ रही है
देख कुल्हाड़ी
फावडे पर आज
धरा घबरा रही है
समझ नही पा
रही हूँ कि
हथियार वही है
चोट वही है
पर कितना कुछ
बदल गया है
शायद बीज
आकंक्षा का
भीतर कही
पल गया है
आज मुझे
ये बात सपष्ट
नजर आयी है
कि दर्द की
मानसिक अवस्था
शारीरिक अवस्था
से ज्यादा दुःखदायी है।।
Rating - 57/100
Result - Amit Rawat wins this friendly poetry challenge & his round 2 exhibition match.
Similar topics
» Savita Agarwal vs. Devesh Bahuguna (Round 1 - FTC 2014)
» Devesh Bahuguna vs. Amit Rawat
» Sankalp Shrivastava vs. Sidharth Gupta (Round 2)
» Deven Pandey vs. Sankalp Shrivastava (Round 1)
» Sanjay Singh vs. Deven Pandey (Round 2)
» Devesh Bahuguna vs. Amit Rawat
» Sankalp Shrivastava vs. Sidharth Gupta (Round 2)
» Deven Pandey vs. Sankalp Shrivastava (Round 1)
» Sanjay Singh vs. Deven Pandey (Round 2)
Page 1 of 1
Permissions in this forum:
You cannot reply to topics in this forum
|
|