Devesh Bahuguna vs. Amit Rawat
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Devesh Bahuguna vs. Amit Rawat
भाव-शून्य
(Amit Rawat)
भाव-शून्य
निरर्थकता का प्रतीक हूँ,
सार्थक सत्य को खोज रहा
भावो से घिरकर, प्रयास मैं
भाव-शून्य होने हेतु कर रहा !
प्रारंभ में ही था चला,
रुदन मेरे अंत का
क्षण भर में सीखा चलना
देख लिया गंतव्य अपने पंथ का
प्रति क्षण घुलता रहा भाव में किसी
भाव-शून्यता तलाशता अब मैं कही !!
वास्ता किया अपनों से,
कभी किया अजनबी से किसी
किसी की कटुता और मिठास कभी,
भावो का मायाजाल,
भ्रान्तिया मेरे मस्तिस्क में बसी
भाव-शून्यता तलाशता अब मैं कही!!!
मित्रता और प्रेम से
भाव-पूर्ण कुशल-क्षेम से
भव्यता भाव की बढती रही
अब न चाहता हूँ भाव कोई
भाव-शून्यता तलाशता अब मैं कही!!!!
हो चुका मैं भाव-शून्य,
या उस विधाता ने है कोई मंत्रणा (साजिश) रची
हो चुका मैं पूर्ण विमुख भावो से
या कही न कही हृदय में एक राइ भाव की है बची
भाव-शून्यता तलाशता अब मैं कहीं !!!!!
Rating - 60/100
-----------------------
एक खूबसूरत सी गज़ल लिखना चाहता हूँ
(Devesh Bahuguna)
एक खूबसूरत सी गज़ल लिखना चाहता हूँ
कि तेरे बारे में कुछ कहना चाहता हूँ
यूँ तो मुमकिन नही तुझे लफ़्ज़ों में ढालना
फिर भी मैं ये नाकाम कोशिश करना चाहता हूँ
कि जमाने की नजरें हैं बड़ी मैली
इसलिए तुझ में दिल में छुपाना चाहता हूँ
न कर मेरी काबिलियत पर शक
कि मेहनत का हुनर मुझे परवरिश में मिला है
मत कर मेरी इंसानियत पर शक
मेरी माँ ने मुझे संस्कारों में घुला दूध पिलाया है
मत पूछ कि मेरा आसमां कहां तक है
कि मेरे अरमानों की उडान का पता क्या है
ये हौसला मुझे मेरे माँ -बाप की उम्मीदों से मिला है
माना के मैने हारा है बहुत कुछ
मगर मेरे सरपरस्तों ने मुझे
हर हाल में संभलना भी सिखाया है
तो क्यों करें दुख खोने-पाने का
जब तक सर पे माँ -बाप का साया है.
Rating - 48/100
Result - Amit Rawat wins exhibition match, round 1.
(Amit Rawat)
भाव-शून्य
निरर्थकता का प्रतीक हूँ,
सार्थक सत्य को खोज रहा
भावो से घिरकर, प्रयास मैं
भाव-शून्य होने हेतु कर रहा !
प्रारंभ में ही था चला,
रुदन मेरे अंत का
क्षण भर में सीखा चलना
देख लिया गंतव्य अपने पंथ का
प्रति क्षण घुलता रहा भाव में किसी
भाव-शून्यता तलाशता अब मैं कही !!
वास्ता किया अपनों से,
कभी किया अजनबी से किसी
किसी की कटुता और मिठास कभी,
भावो का मायाजाल,
भ्रान्तिया मेरे मस्तिस्क में बसी
भाव-शून्यता तलाशता अब मैं कही!!!
मित्रता और प्रेम से
भाव-पूर्ण कुशल-क्षेम से
भव्यता भाव की बढती रही
अब न चाहता हूँ भाव कोई
भाव-शून्यता तलाशता अब मैं कही!!!!
हो चुका मैं भाव-शून्य,
या उस विधाता ने है कोई मंत्रणा (साजिश) रची
हो चुका मैं पूर्ण विमुख भावो से
या कही न कही हृदय में एक राइ भाव की है बची
भाव-शून्यता तलाशता अब मैं कहीं !!!!!
Rating - 60/100
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एक खूबसूरत सी गज़ल लिखना चाहता हूँ
(Devesh Bahuguna)
एक खूबसूरत सी गज़ल लिखना चाहता हूँ
कि तेरे बारे में कुछ कहना चाहता हूँ
यूँ तो मुमकिन नही तुझे लफ़्ज़ों में ढालना
फिर भी मैं ये नाकाम कोशिश करना चाहता हूँ
कि जमाने की नजरें हैं बड़ी मैली
इसलिए तुझ में दिल में छुपाना चाहता हूँ
न कर मेरी काबिलियत पर शक
कि मेहनत का हुनर मुझे परवरिश में मिला है
मत कर मेरी इंसानियत पर शक
मेरी माँ ने मुझे संस्कारों में घुला दूध पिलाया है
मत पूछ कि मेरा आसमां कहां तक है
कि मेरे अरमानों की उडान का पता क्या है
ये हौसला मुझे मेरे माँ -बाप की उम्मीदों से मिला है
माना के मैने हारा है बहुत कुछ
मगर मेरे सरपरस्तों ने मुझे
हर हाल में संभलना भी सिखाया है
तो क्यों करें दुख खोने-पाने का
जब तक सर पे माँ -बाप का साया है.
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Result - Amit Rawat wins exhibition match, round 1.
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